परिचय
वैदिक ज्योतिष में भवन निर्माण या नया घर खरीदने के लिए शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में ग्रहों की स्थिति से ही इस तरह के शुभ कार्यों के लिए अनुकूल समय निर्धारित होता है। आइए जानते हैं कि कुंडली में भवन निर्माण का योग कैसे बनता है।
1. कुंडली में भवन निर्माण के योग
- चौथे भाव के स्वामी का महत्व: जब कुंडली में चौथे भाव के स्वामी, जैसे मंगल देव और शनिदेव, शुभ ग्रहों के प्रभाव में होते हैं, तब भवन निर्माण का शुभ योग बनता है।
- चौथे भाव के स्वामी का शुभ ग्रह के साथ संयोग: जब चौथे भाव के स्वामी किसी शुभ ग्रह के प्रभाव में होते हैं, तो भी कुंडली में भवन निर्माण का योग बनता है।
- एकाधिक मकान निर्माण का योग: चौथे और ग्यारहवें भाव के बीच शुभ संयोग बनने से कुंडली में एक से अधिक मकान निर्माण के योग बनते हैं।
- विराटस में मकान प्राप्ति: चौथे, आठवें और ग्यारहवें भाव के बीच का संबंध जब बनता है, तो व्यक्ति को विराटस में मकान प्राप्ति के योग बनते हैं।
2. मुहूर्त का महत्व
- शुभ मुहूर्त का चयन: हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार, भवन निर्माण या नया घर खरीदते समय शुभ मुहूर्त देखकर ही ऐसे कार्य किए जाते हैं।
- ग्रहों की स्थिति का विचार: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहों की स्थिति का विचार करके ही शुभ मुहूर्त का चयन किया जाता है।
ज्योतिषीय सलाह और गाइडेंस
- व्यक्तिगत कुंडली का विश्लेषण: अपनी व्यक्तिगत कुंडली का विश्लेषण करवाना और उसके आधार पर शुभ मुहूर्त चुनना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- ज्योतिषीय परामर्श: किसी अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श लेना इस दौरान महत्वपूर्ण होता है, ताकि ग्रहों की सही स्थिति और उनके प्रभाव का सही आकलन किया जा सके।
निष्कर्ष
कुंडली में मकान निर्माण का योग वैदिक ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक ग्रहों के अनुकूल और प्रतिकूल प्रभावों पर निर्भर करता है। इसलिए, जब आप भवन निर्माण या नया घर खरीदने का निर्णय लें, तो ज्योतिषीय सलाह और कुंडली विश्लेषण को महत्व दें। इससे आपको शुभ मुहूर्त का सही ज्ञान होगा और आपके निर्माण कार्य में सफलता और शांति मिलेगी।
यदि आप भवन निर्माण या नया घर खरीदने के लिए ज्योतिषीय सलाह चाहते हैं, तो बालाजी ज्योतिष पीठ से संपर्क करें। हमारे ज्योतिषाचार्य आपकी कुंडली का गहन विश्लेषण करके आपको शुभ मुहूर्त और अन्य ज्योतिषीय उपाय सुझाएंगे।
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