परिचय
कूर्म योग ज्योतिष शास्त्र में एक अनूठा और शुभ योग है, जो कि जन्म कुंडली में विशेष ग्रह स्थितियों के आधार पर निर्मित होता है। यह योग कूर्म के समान आकृति दर्शाता है और इसके फलस्वरूप जातक में अनेक शुभ लक्षण पाए जाते हैं।
कूर्म योग का निर्माण
- ग्रह स्थिति: कूर्म योग तब बनता है जब जन्म कुंडली के 1, 3, 5, 6, 7, और 11 भावों में ग्रह फैले हुए होते हैं।
- शुभ ग्रहों की स्थिति: यदि शुभ ग्रह उच्च राशि, स्वराशि, मित्र राशि या नवांश में स्थित होकर 5, 6 और 7 भाव में स्थित हों, तो यह योग शुभ फल देता है।
कूर्म योग के प्रभाव
- व्यक्तित्व और गुण: कूर्म योग के प्रभाव से जातक राजा के समान, गुणवान, धार्मिक, धीर-गंभीर और सुखी होता है। वह दानी, उपकारी, और विख्यात होता है।
- धार्मिकता और यज्ञ: जातक धार्मिक कार्यों में रुचि रखता है और यज्ञादि कार्यों में सहयोग देता है।
- सामाजिक सम्मान: इस योग के प्रभाव से जातक समाज में सम्मानित होता है और उसका कीर्ति विख्यात होती है।
निष्कर्ष
कूर्म योग एक व्यक्ति के जीवन में धार्मिकता, समृद्धि, और समाज में मान-सम्मान लेकर आता है। इस योग का विश्लेषण और समझ ज्योतिषीय परामर्श के द्वारा और भी गहराई से किया जा सकता है। ज्योतिषीय मार्गदर्शन के लिए, आप बालाजी ज्योतिष पीठ से संपर्क कर सकते हैं, जहां अनुभवी ज्योतिषी आपको व्यक्तिगत और विस्तृत जानकारी प्रदान कर सकते हैं।
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