परिचय
वैदिक ज्योतिष में गजकेसरी योग का विशेष महत्व है। यह योग जब किसी जातक की कुंडली में बनता है, तो वह व्यक्ति अपने जीवन में असीम सफलता और समृद्धि प्राप्त करता है। यह योग ज्ञान, साहस, और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
गजकेसरी योग का स्वरूप
गजकेसरी योग तब बनता है जब कुंडली के केंद्र स्थानों – लग्न, चौथे, सप्तम और दसवें भाव में गुरु और चंद्रमा साथ होते हैं। यह योग अधिक बलवान होता है जब गुरु और चंद्रमा दोनों उच्च या स्वगृही हों।
गजकेसरी योग के प्रभाव
- सफलता और धन-समृद्धि: गजकेसरी योग से जातक को बड़े से बड़े संकट से उबरने की शक्ति मिलती है। इस योग से जातक अतुलनीय धन और समृद्धि प्राप्त करता है।
- व्यावसायिक सफलता: यह योग व्यावसायिक और करियर में उन्नति को दर्शाता है। जातक को भूमि,भवन और वाहन का सुख भी प्राप्त होता है।
- मानसिक और आत्मिक बल: गजकेसरी योग से जातक को मानसिक शांति और आत्मिक बल मिलता है, जो उसे जीवन के हर क्षेत्र में सकारात्मकता और दृढ़ता प्रदान करता है।
- सामाजिक प्रतिष्ठा: इस योग के प्रभाव से व्यक्ति को समाज में उच्च स्थान और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।
गजकेसरी योग का भंग
यह योग तब भंग हो जाता है जब गुरु नीच राशि में हो, अस्त हो, या शत्रु ग्रह से प्रभावित हो। चंद्रमा के आस-पास कोई भी पाप ग्रह होने पर भी इस योग की शुभता कम हो जाती है।
उदाहरण
- मेष लग्न की कुंडली में चौथे भाव में उच्च का गुरु और चन्द्रमा का संयोग बहुत बलवान गजकेसरी योग बनाता है।
- वहीं, वृष लग्न में यह योग कमजोर होता है क्योंकि गुरु की मूल त्रिकोण राशि गुरु अष्टम भाव में आ जाती है।
निष्कर्ष
गजकेसरी योग व्यक्ति के जीवन में शक्ति, साहस, धन, और समृद्धि लाने के साथ-साथ उन्हें मानसिक शांति और आत्मिक बल भी प्रदान करता है। यह योग जातक को जीवन में उच्च स्थान और प्रतिष्ठा दिलाने में भी सहायक होता है। हालांकि, गुरु और चंद्रमा की स्थिति और उनके अन्य ग्रहों के साथ संबंधों का गहराई से विचार करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये कारक योग की शक्ति और प्रभाव को प्रभावित करते हैं। अतः गजकेसरी योग का सही अध्ययन और विश्लेषण के लिए बालाजी ज्योतिष पीठ में संपर्क करें ।
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