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रत्न ज्योतिष

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रत्न ज्योतिष

रत्न ज्योतिष एक विद्या है जो रत्नों या गुलाबी पत्थरों के पहनावे के माध्यम से व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करने का अध्ययन करती है।

रत्न ज्योतिष एक विद्या है जो रत्नों या गुलाबी पत्थरों के पहनावे के माध्यम से व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करने का अध्ययन करती है। इसमें विभिन्न रत्नों को विशेष ग्रहों से जोड़ा जाता है, जिनका व्यक्ति पहनता है ताकि उसे उन ग्रहों के शुभ प्रभाव का लाभ हो सके। यह एक प्राचीन शास्त्र है जो भारतीय साहित्य में मिलता है और लोगों के जीवन में सौभाग्य, सुख, और समृद्धि को बढ़ाने का उद्दीपक करता है।
रत्न ज्योतिष के कुछ महत्वपूर्ण बिंदुएं हैं:

  1. नवरत्न (नौ रत्न): नवरत्नों में मुख्य रूप से माणिक्य, पुखराज, मोती, मौके, नीलम, हीरा, गोमेद, कटिला, और शंख होते हैं, जो नौ प्रमुख ग्रहों को प्रतिनिधित्व करते हैं।
  2. ग्रहों का प्रभाव: रत्न ज्योतिष में हर ग्रह के लिए एक विशिष्ट रत्न का सुझाव दिया जाता है, जिससे व्यक्ति उस ग्रह के शुभ प्रभाव को प्राप्त कर सकता है।
  3. रत्नों के पहनावे: रत्नों के पहनावे को धारण करने के माध्यम से व्यक्ति को भाग्य, सुख, और समृद्धि में वृद्धि हो सकती है।
  4. ग्रह शांति: अगर किसी ग्रह का प्रभाव व्यक्ति के लिए अशुभ है, तो रत्न ज्योतिष में उस ग्रह के लिए सुधार के लिए विशेष रत्न का सुझाव दिया जाता है।
  5. रत्नों की परंपरा: रत्नों की पहनावे की परंपरा भारतीय सांस्कृतिक में दी जाने वाली महत्वपूर्ण परंपरा है और यह समृद्धि, सौभाग्य, और सुख का प्रतीक माना जाता है।
  6. रत्न ज्योतिष रिमेडीज: अगर किसी को किसी ग्रह के प्रभाव से समस्या हो रही है, तो उसके लिए रत्न ज्योतिष में विशेष रत्न की सिफारिश की जा सकती है।
  7. रत्नों का अध्ययन: रत्न ज्योतिष में रत्नों के रूप, गुण, और उनके पहनावे का ध्यानपूर्वक अध्ययन किया जाता है, जिससे व्यक्ति को उनकी महत्वपूर्णीयता और उपयोगिता का समझ मिलता है।
  8. आध्यात्मिक दृष्टिकोण: रत्न ज्योतिष में रत्नों को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखा जाता है, जिससे व्यक्ति की आत्मा के साथ संबंध स्थापित हो सकता है।
  9. रत्न और रोग निवारण: कुछ रत्नों का धारण करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है, और यह विभिन्न रोगों को निवारण में मदद कर सकता है।
  10. रत्न ज्योतिष और वास्तुशास्त्र: कुछ रत्न वास्तुशास्त्र में भी महत्वपूर्ण माने जाते हैं और घर या कार्यस्थल में इनका प्रयोग सुख-शांति की ऊँचाइयों तक पहुंचा सकता है।
  11. रत्नों का विपरीत प्रभाव: रत्न ज्योतिष में यह भी देखा जाता है कि किसी रत्न को अनधिक या अनुपयोगी तरीके से पहनने से क्या प्रभाव हो सकता है और कैसे उसका सावधानीपूर्ण उपयोग किया जा सकता है।
  12. रत्नों का धारण करने की विधि: रत्नों को सही तरीके से धारण करने के लिए निर्देशों का पालन करना महत्वपूर्ण है। यह सही समय, स्थान, और शुद्धता के साथ किया जाना चाहिए।
  13. रत्न ज्योतिष और मुहूर्त: कुछ मुहूर्तों में रत्न धारण करने का विशेष महत्व होता है जो विभिन्न ग्रहों के प्रभाव को और भी शक्तिशाली बना सकता है।