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प्रयोग

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प्रयोग

“प्रयोग” का शब्द संस्कृत में “प्रयोग” से लिया गया है जो “उपयोग” या “प्रयोग” का अर्थ होता है। ज्योतिष शास्त्र में, “प्रयोग” एक विशेष तकनीक या उपाय का संबोधन करता है जो किसी व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

ज्योतिष में विभिन्न प्रयोग होते हैं जो व्यक्ति की कुंडली और ग्रहों की स्थिति के अनुसार किये जाते हैं। कुछ प्रमुख प्रयोग निम्नलिखित हैं:

  1. जन्म कुंडली पारिश्रमिक: जन्म कुंडली के अनुसार ग्रहों के संयोजन को बेहतर बनाने के लिए विशेष उपाय किये जाते हैं। इसमें मंत्र, ध्यान, यंत्र, पूजा, दान आदि शामिल हो सकते हैं।
  2. दैनिक ज्योतिष उपाय: रोजाना के जीवन में समृद्धि और सुख के लिए कुछ विशेष उपाय भी किए जाते हैं। इसमें सूर्यास्त के समय अर्घ्य, सूर्य प्रणाम, ग्रहों के मंत्र जाप, ध्यान आदि शामिल हो सकते हैं।
  3. रत्न उपाय: ज्योतिष के अनुसार किसी विशेष ग्रह की दशा में किसी विशेष रत्न को धारण करने से उस ग्रह के दोषों को कम किया जा सकता है और सकारात्मक प्रभाव प्राप्त किया जा सकता है।
  4. तन्त्र उपाय: कुछ विशेष तंत्र उपाय भी होते हैं जो ग्रहों के शांति और समृद्धि के लिए किए जाते हैं। इनमें मंत्र, यंत्र, तांत्रिक पूजा, अष्टांग योग, कुंडलिनी जागरण आदि शामिल हो सकते हैं।