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वैदिक ज्योतिष में प्रमुख योग: पारिजात योग, पर्वत योग, काहल योग, लक्ष्मी योग

वैदिक ज्योतिष में प्रमुख योग: पारिजात योग, पर्वत योग, काहल योग, लक्ष्मी योग

वैदिक ज्योतिष में प्रमुख योग: विस्तृत विवेचन वैदिक ज्योतिष में कई ऐसे योग होते हैं जो जातक के जीवन में धन, वैभव, और राजसत्ता का संकेत देते हैं। ये योग जातक की कुंडली में विशेष स्थानों पर ग्रहों की स्थिति से निर्मित होते हैं। 1. पारिजात योग निर्माण: इस योग का निर्माण...
अखंड साम्राज्य योग: एक विस्तृत परिचय

अखंड साम्राज्य योग: एक विस्तृत परिचय

अखंड साम्राज्य योग का महत्व वैदिक ज्योतिष में, अखंड साम्राज्य योग को एक शक्तिशाली और धन-समृद्धि प्रदान करने वाले योग के रूप में मान्यता प्राप्त है। यह योग जातक के जीवन में अद्वितीय उपलब्धियों और सफलता का संकेतक होता है। योग का निर्माण लग्न और बृहस्पति: यह योग तभी बनता...
गजकेसरी योग: वैदिक ज्योतिष का एक शुभ योग

गजकेसरी योग: वैदिक ज्योतिष का एक शुभ योग

परिचय वैदिक ज्योतिष में गजकेसरी योग का विशेष महत्व है। यह योग जब किसी जातक की कुंडली में बनता है, तो वह व्यक्ति अपने जीवन में असीम सफलता और समृद्धि प्राप्त करता है। यह योग ज्ञान, साहस, और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। गजकेसरी योग का स्वरूप गजकेसरी योग तब बनता है जब...
मंगल दोष: विश्लेषण, प्रभाव और निवारण के उपाय

मंगल दोष: विश्लेषण, प्रभाव और निवारण के उपाय

परिचय मंगल दोष ज्योतिष शास्त्र में एक गंभीर दोष माना जाता है, जिसके कारण विवाह में बाधा और अन्य समस्याएँ आ सकती हैं। यह तब बनता है जब कुंडली के प्रथम, द्वितीय, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में मंगल ग्रह का वास होता है। इसे “मांगलिक दोष” भी कहा जाता...
कालसर्प दोष: विनाशकारी दोष के लक्षण और उपाय

कालसर्प दोष: विनाशकारी दोष के लक्षण और उपाय

परिचय ज्योतिष शास्त्र में कालसर्प दोष को एक गंभीर और विनाशकारी दोष माना गया है। यह दोष तब बनता है जब किसी जातक की कुंडली में राहु और केतु के बीच सभी ग्रह आ जाते हैं। इस दोष के कारण जातक को मानसिक और शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। कालसर्प दोष के लक्षण मृत...